हम अपनी सुबह किस प्रकार व्यतीत करते हैं पूरे दिन किस प्रकार की ऊर्जा अपने मस्तिष्क और शरीर को प्रदान करते हैं इसका हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है यदि हम अपनी दिनचर्या में कुछ परिवर्तन करें तो हम अधिक खुश और स्वस्थ रह सकते हैं। इतना ही नहीं हम सारे दिन जो भी कार्य करते हैं उसका दोगुना परिणाम हमें मिल सकता है।
ध्यान के विषय में तो आप सभी ने सुना है परंतु ध्यान वास्तव में है क्या यह वर्तमान में कोई नहीं जानता ध्यान की वास्तविक परिभाषा आजकल पूर्णतया परिवर्तित हो गई है तो आइए जानते हैं कि ध्यान क्या है और यह किस प्रकार हमारे जीवन से संबंधित है।
ध्यान क्या है? – What is Meditation in Hindi?
ध्यान एक शब्द मात्र नहीं अपितु एक ऐसा अभ्यास है जिसका अर्थ और परिणाम इस संसार से भी परे है। आज-कल ध्यान को अधिक गंभीरता से नहीं लिया जाता जो वास्तव में योगी है उनका कहना है कि ध्यान लगाना इतना कठिन है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते परंतु असंभव नहीं।
यदि हम ठान ले की हमें ध्यान को जानना है तो इसका अभ्यास करना होगा किसी के बताने से आप ध्यान की परिभाषा तो समझ सकते हैं परंतु अनुभव तो स्वयं ही करना होगा और इसका अनुभव करने के लिए आपको इस भौतिक शरीर और मानसिक सीमाओं से परे जाना पड़ेगा।
ध्यान में भौतिक या सांसारिक वस्तुओं की कोई भूमिका नहीं है यदि आप गहनता से ध्यान का अध्ययन कर इसका अभ्यास करें तो आप इस ब्रह्मांड और इस से भी परे एक लोक जिसे शास्त्रों में परमात्मा का निवास स्थान कहा गया है उसे भी जान सकते हैं।
आत्मा परमात्मा, जन्म-मृत्यु, आपके जीवन का उद्देश्य, आपको मनुष्य जीवन क्यों प्राप्त हुआ इन सब के उत्तर आपको स्वता ही मिलते जाएंगे। जो महान योगी रहे हैं जैसे संत कबीर, महावीर, गौतम बुद्ध, परमहंस योगानंद इन सब का यही कहना था कि ध्यान को शब्दों से नहीं अनुभव से ही समझा जा सकता है।
उनके अनुसार ध्यान इतना कठिन नहीं है जितना हमें प्रतीत होता है हमें हर वह चीज कठिन और असंभव लगती है जो हमें अपने मन, इक्छाये, और शरीर से परे ले जाती है क्योंकि हम अपने विचारों के दास है। ध्यान के लिए मन को नियंत्रण में करना होगा और तभी वास्तव में आप अपना अस्तित्व समझ पाएंगे।
मन में जो माया का आवरण है वह पूरी तरह हट जाएगा और आप केवल सत्य को देख रहे होंगे इसी अवस्था को निर्वाण कहा जाता है विभिन्न धर्मों में इस अवस्था को विभिन्न नाम दिए गए हैं निर्वाण प्राप्ति में मनुष्य को कितना समय लगता है यह मनुष्य की इच्छा शक्ति, स्वयं के अस्तित्व, और सत्य को जानने की चेष्टा पर निर्भर करता है।
क्यों करे ध्यान? – Why Meditate in Hindi?
यदि आप अपने शरीर और उससे भी अधिक अपने मस्तिष्क को कुछ आराम नहीं देंगे तो यह अधिक समय तक आपका साथ नहीं दे सकते। हमारी दिनचर्या हमारे जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव डालती है।
आज कल की व्यस्त और दौड़-भाग वाली जिंदगी में यदि हम अपने लिए कुछ पल भी निकाल लेते हैं तो बहुत सुकून अनुभव करते हैं। व्यस्तता के कारण मस्तिष्क और शरीर की थकान कभी न खत्म होने वाली लगती है व्यक्ति अपने लिए समय ही नहीं निकाल पाता परिणाम स्वरुप बहुत से रोग शरीर को घेर लेते हैं और व्यक्ति उम्र से पहले ही अपनी उर्जा खोने लगता है।
महापुरुषों ने कहां है कि जो ध्यान करना जानता है उसके लिए सब कुछ आसान है कोई भी कठिनाई या परिस्थिति हो वह सब आसानी से पार कर सकता है क्योंकि व्यक्ति यह समझ जाता है कि इस संसार में जो भी हो रहा है वह सब क्षणिक है इसलिए ध्यान करना मनुष्य का मूल धर्म बताया गया है।
जब आप ऐसी अवस्था में पहुंच जाए की भूत, वर्तमान, और भविष्य का एक विचार भी आपके मन में ना आए बस यही अवस्था ध्यान है।
महर्षि पतंजलि द्वारा बताए गए अष्टांग योग का सातवां अंग ध्यान है। योग का अर्थ है आत्मा और परमात्मा का योग अर्थात जो व्यक्ति आत्मा को परमात्मा से जोड़ लेता है इस अवस्था को ही वास्तविक युग कहा जाता है और इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका ध्यान की होती है।
परंतु ध्यान तक पहुंचने के लिए व्यक्ति को आरंभ के अंग – नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा आदि में परिपक्व होना चाहिए तभी ध्यान का वास्तविक अर्थ सिद्ध होता है।
दोस्तों ध्यान से जो ज्ञान प्राप्त होता है उसका प्रभाव आप के संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर पड़ता है। हमारी प्रवृत्ति हर समय कुछ ना कुछ सोचते रहने की है। हर क्षण हम विचाररत है मन में हलचल सी है एक कोलाहल है जिसके कारण तो तुच्छ है परंतु यह विचार हमें हर समय दुर्बल बना रहे हैं और ध्यान हमारी इसी दुर्बलता को दूर करता है।
विचारों की शुद्धता मन की विनम्रता और निर्मलता यह सब ध्यान पर ही निर्भर है व्यक्ति जैसे-जैसे ध्यान में उन्नति या यूं कहें ध्यान लगाने का अभ्यास जैसे-जैसे दृढ़ होता जाता है मन वैसे वैसे फिर होने लगता है। व्यर्थ के विचार स्वता ही दूर हो जाते हैं और इस प्रकार आप स्वयं का शुद्धिकरण करते हैं जो इस संसार में रहते हुए किसी भी वस्तु या उपाय के द्वारा संभव ही नहीं।
ध्यान करने से मनुष्य स्वयं को एक शरीर के रूप में न देखकर आत्मा के रूप में देखता है और इस प्रकार मन के भ्रमो से भी मुक्ति पाने लगता है दोस्तों ध्यान लगाने को बहुत लाभकारी बताया गया है कहां जाता है कि यदि आप अपना दिन ध्यान के साथ आरंभ करते हैं तो आप पूरा दिन ऊर्जा त्मक अनुभव करेंगे।
ध्यान लगाने के क्या परिणाम होते हैं? – What are the Consequences of Meditating in Hindi?
ध्यान के विषय में साधारण शब्दों में बात की जाए तो यह विचार, कल्पनाएं, अपेक्षाएं, सुख, और दुख आदि के विरुद्ध है। ध्यान आपकी इंद्रिया नियंत्रण करने में सहायता करता है क्योंकि मन बुद्धि में और बुद्धि आत्मा में लीन होने लगती है और आत्मा का संबंध परमात्मा से है।
सांसारिक बातों से नहीं इसलिए ध्यान में केवल आनंद का भाव है एक बार जब व्यक्ति ठीक से ध्यान लगाना समझ जाता है फिर किसी सांसारिक कार्य को करते हुए भी वह ध्यान की अवस्था में रह सकता है।
ध्यान करने के लाभ – Benefits of Meditation
तो आइये अब जानते है की ध्यान से जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? इसके क्या लाभ है।
1. ध्यान आपकी उर्जा को इतना प्रभावशाली बना देता है कि लोग आपके साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करना पसंद करते हैं आपका औरा (Aura) इतना मजबूत हो जाएगा कि लोग आपकी ओर खींचे चले आएंगे और सोशल लाइफ अच्छी होने से जीवन में तनाव कम होता है।
2. ध्यान आपको इतना स्थिर बना देता है कि यदि कोई आपको कड़वे शब्द भी बोल दे तो भी इसका पर कोई प्रभाव नहीं होगा।
3. प्रतिदिन ध्यान करने से मन में उठ रहे अनावश्यक और व्यर्थ के विचारों को आप अनदेखा करना सीख जाते हैं और धीरे-धीरे इनसे मुक्ति पाने लगते हैं।
4. मैडिटेशन करने से आपका शरीर इतना स्वस्थ रहता है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते आजकल के व्यस्त जीवन में हर छोटी बात के कारण तनाव हो जाता है जो भयानक बीमारियों का कारण भी बन सकता है ध्यान करने से आप पूरी तरह तनाव से दूर रहते हैं कोई भी कठिनाई या परेशानी होने पर चिंता ग्रस्त होने के स्थान पर उसका हल ढूंढने का हर संभव प्रयास करते हैं।
5. साथ ही नियमित ध्यान करने से ब्लड प्रेशर की समस्या भी खत्म हो जाती है इसके अतिरिक्त मांसपेशियों में खिंचाव, अस्थमा, पीठ का दर्द, और मधुमेह जैसी समस्याओं का हल भी है ध्यान।
6. ध्यान व्यक्ति के मन से अहम्, इर्षा, कुंठा, निंदा आदि भाग समाप्त कर देता है। संसार में रहते हुए एक स्थिर मन का व्यक्ति किसी भी वस्तु पर अपना अधिकार करने से संकोच करता है क्योंकि उसे यह ज्ञान हो जाता है कि हमारा संबंध शरीर से नहीं अपितु आत्मा से है और आत्मा का किसी भी सांसारिक वस्तु से कोई संबंध नहीं होता।
7. ध्यान से व्यक्ति को इस स्तर का ज्ञान हो जाता है कि वह यह समझ पाने में सक्षम हो जाता है कि इस जन्म में व्यक्ति के प्रारंभ में जितना है उतना मिलेगा ही व्यक्ति को केवल कर्म करते रहना है। सांसारिक बंधनों में उलझ कर हम अपनी आत्मा को कष्ट पहुंचाते हैं और जीवन को सार्थक करने के स्थान पर इसे व्यस्त कर देते हैं अहम्, इर्षा, कुंठा, निंदा जैसे भाव मन से निकल जाने से हमारा शुद्धिकरण होता है और हम अपनी आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ने का प्रयास करते हैं।
8. ध्यान करने से हम किसी भौतिक वस्तु नहीं अपितु स्वयं की खोज करते हैं और जब व्यक्ति स्वयं का अर्थ समझ लेता है तो वह जीवन को साध लेता है।
तो ये थी जानकारी की ध्यान क्या है, ये क्यों जरुरी है, ध्यान लगाने के क्या परिणाम होते हैं, इससे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है, ध्यान का महत्व। अगर आपको यह जानकारी अच्छी और उपयोगी लगी हो तो इसे अपने मित्रो और प्रियजनों के साथ अवश्य शेयर करे, साथ ही हमें कमेन्ट के माध्यम से भी बता सकते है।