जैसा की हम सब जानते है की जिस युग में हम अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं इसे कलयुग के नाम से जाना जाता है श्री कृष्ण द्वारा कलयुग के संपूर्ण स्वरूप की भविष्यवाणी बड़े ही विस्तार से की गई थी। आइये जानते हैं श्रीमद भगवत पुराण के अनुसार कब और कैसे होगा कलयुग का अंत, कलयुग का स्वरूप कैसा होगा, और इसका अंत आते-आते क्या-क्या बदलाव आएंगे।
कलयुग का अंत कब होगा?
पौराणिक मान्यता के अनुसार कलयुग 4,32,000 वर्ष का है जिसका अभी प्रथम चरण ही चल रहा है। कलयुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था, जब पांच ग्रह, मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति औ कब और कैसे होगा कलयुग का अंत | क्या होगा कलियुग के अंत में र शनि, मेष राशि पर 0 डिग्री पर हो गए थे। इसका मतलब 3102+2021=5123 वर्ष कलयुग के बीत चुके हैं और 426877 वर्ष अभी भी बांकी है।
क्या होगा कलियुग के अंत में?
1. कलयुग में जिसके पास धन होगा उसी को लोग कुलीन, सदाचारी, और सद्गुणी मानेंगे जिसके हाथ में शक्ति होगी वही धर्म और न्याय की व्यवस्था अपने अनुकूल करा सकेगा।
2. विवाह संबंध के लिए गुण, शील, योग्यता आदि की परख-निरख नहीं रहेगी युवक युवती की पारंपरिक रूचि से ही संबंध हो जाएगा। व्यवहार की निपुणता सच्चाई और ईमानदारी में नहीं रहेगी। जो जितना छल कपट कर सकेगा वह उतना ही व्यवहार कुशल माना जाएगा। ब्राह्मण की पहचान उसके गुण, स्वभाव से नहीं यज्ञोपवीत से हुआ करेगी।
3. वस्त्र, दंड-कमंडल आदि से ही ब्रह्मचारी, सन्यासियों आदि आश्रमियो की पहचान होगी और एक दूसरे का चिन्ह स्वीकार कर लेना ही एक दूसरे के आश्रम में प्रवेश का स्वरुप होगा। जो घूस देने या धन खर्च करने में असमर्थ होगा उसे अदालतों में ठीक-ठीक न्याय ना मिल सकेगा। जो बोल-चाल में जितना चालाक होगा उसे उतना ही बड़ा पंडित माना जायेगा।
4. असाधता का दोषी होने की एक ही पहचान रहेगी गरीब होना। जो जितना अधिक दम्भ पाखंड कर सकेगा उसे उतना ही बड़ा साधू समझा जाएगा। विवाह के लिए एक दूसरे की स्वीकृति ही पर्याप्त होगी। बाल आदि सवार कर अच्छे कपडे पहन लेना ही स्नान समझा जायेगा।
5. लोग दूर के तालाब को तीर्थ मानेंगे और निकट के तीर्थ गंगा को नहीं। माता-पिता आदि की उपेक्षा करेंगे सिर पर बड़े-बड़े बाल का कुल रखना ही शारीरिक सौंदर्य का चिन्ह समझा जाएगा, और जीवन का सबसे बड़ा पुरुषार्थ होगा अपना पेट भर लेना। जो जितनी जेठाई से बात कर सकेगा उसे उतना ही सच्चा समझा जाएगा।
6. योग्यता चतुराई का सबसे बड़ा लक्षण ये होगा कि मनुष्य अपने कुटुंब का पालन कर ले। धर्म का सेवन यश के लिए किया जाएगा। इस प्रकार जब सारी पृथ्वी पर दुष्टों का बोलबाला हो जाएगा तब राजा होने का कोई नियम ना रहेगा। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, में जो बली होगा वही राजा बन बैठे गए।
7. उस समय के नीच राजा अत्यंत निर्दयी एवं क्रूर होंगे। लोभी तो इतने होंगे कि उसमें और लुटेरों में कोई अंतर ना किया जा सकेगा। जो प्रजा की पूंजी एवं पत्नियों तक को छीन लेंगे उनसे डर कर प्रजा पहाड़ों और जंगलों में भाग जाएगी। उस समय प्रजा तरह-तरह के शाग, कंदमूल, मास, मधू, फल-फूल और बीज-गुठली, आदि खा कर अपना पेट भरेगी।
8. लोग भूख, प्यास तथा ना- ना प्रकार की चिंताओं से दुखी रहेंगे। रोगों से उन्हें छुटकारा ही न मिलेगा कलयुग में मनुष्यो की परमायू 20 या 30 वर्ष की होगी।
9. कलिकाल के दोषों से प्राणियों के शरीर छोटे-छोटे, क्षीण, और रोग ग्रस्त होने लगेंगे। वर्ण और आश्रमों का धर्म बतलाने वाला वेदार्थ नष्ट प्राय हो जाएगा। धर्म में पाखंड की प्रधानता हो जाएगी।
10. राजे महाराजे डाकू लुटेरों के समान हो जाएंगे। मनुष्य चोरी, झूठ तथा निरप्राध हिंसा आदि नाना प्रकार के कुकर्मो से जीविका चलाने लगेंगे।
11. पुत्र अपने बूढ़े मां बाप की रक्षा, पालन-पोषण नहीं करेंगे उनकी उपेक्षा कर देंगे।
12. कलयुग में लोग अधिक धन की तो बात ही क्या है कुछ कौड़िओ के लिए आपस में बैर-विरोध करने लगेंगे और बहुत दिनों के सद्भाव तथा मित्रता को तिलांजलि दे देंगे। इतना ही नहीं दमणी-दमणी के लिए अपने सगे संबंधियों तक की हत्या कर देंगे और अपने प्राणों से भी हाथ धो बैठेंगे।
13. सारे देश में गांव-गांव में लुटेरों की प्रधानता एवं प्रचुरता हो जाएगी। पाखंडी लोग अपने नए नए मत चला कर मनमाने ढंग से वेदों का तात्पर्य निकालने लगे और इस प्रकार उन्हें कलंकित करेंगे। ऐतिहासिक विद्वानों का कहना है कि जिस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अपने परम धाम को प्रस्थान किया उसी दिन उसी समय कलयुग का प्रारंभ हो गया। जब देवताओं की गणना के अनुसार 1000 वर्ष बीत चुकेंगे तब कलयुग के अंतिम दिनों में कल्कि भगवान की कृपा से मनुष्य के मन में सात्विकता का संचार होगा। लोग अपने वास्तविक स्वरूप को जान सकेंगे और तभी से सचिव का प्रारंभ भी होगा।
कैसे होगा कलयुग का अंत?
ज्यो-ज्यो घोर कलयुग आता जाएगा त्यों-त्यों उत्तम धर्म, सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, आयु, बल और स्मरण शक्ति का लोप होता जाएगा। कभी वर्षा ना होगी सूखा पड़ जाएगा कभी कड़ाके की सर्दी पड़ेगी तो कभी पाला पड़ेगा कभी आंधी चलेगी कभी गर्मी पड़ेगी तो कभी बाढ़ आ जाएगी। इन उत्पादों से तथा आपस के संघर्ष से प्रजा अत्यंत पीड़ित हो नष्ट हो जाएगी।
महाभारत में भी कलयुग के अंत में प्रलय का वर्णन है, महाभारत के अनुसार कलियुग के अंत में वर्षा पूरी तरह बंद हो जाएगी। सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा कि सातों समुद्र और नदियां सूख जाएंगी। गर्मी इतनी बढ़ जायेगी की पताल लोक तक सब भस्म हो जायेगा। फिर बारह वर्षो तक मूसलाधार बारिश से सारी धरती जलमग्र हो जाएगी और फिर से जीव उत्पत्ति की शुरुआत होगी।
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