आज हम जानेंगे की – क्यों नहीं मनाना चाहिए परिजनों की मृत्यु पर शोक, किसी अपने की मृत्यु होने पर शोक करना सही या गलत, परिजन के मृत्यु पर शोक करने के नुक्सान, किसी करीबी की मौत के दुख से कैसे निपटें।
मित्रों मृत्यु एक अटल सत्य है और हर किसी ने अपने जीवन में किसी बहुत ही प्रिय को खोया है उस पर यदि आपको यह कह दिया जाए कि आपको उस व्यक्ति की मृत्यु पर शोक भी व्यक्त नहीं करना है तो यह कुछ निर्दई सा प्रतीत होता है परंतु उसके पीछे के असली कारण को जानकर आप भी निश्चित रूप से आज के बाद से किसी अपने की मृत्यु पर शोक व्यक्त करने से पहले एक बार अवश्य सोचेंगे।
वास्तव में हमारे अनेक हिंदू ग्रंथों और पुराणों में शोक व्यक्त करने के लिए मना किया गया है उन्ही ग्रंथों में से एक है श्रीमद्भगवद्गीता चलीए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
जब आप किसी अपने को खोते हैं तो आपका उस पर शोक मनाना जायज बात है परंतु क्या आपने कभी यह सोचा है कि आपके द्वारा व्यक्त किया गया यह शोक आपके प्रिय जनों के हित में नहीं बल्कि इसके विपरीत उनकी मृत्यु के आगे के मार्ग में बाधा डाल सकता है।
क्यों नहीं मनाना चाहिए परिजनों की मृत्यु पर शोक?
इससे संबंधित एक तथ्य का वर्णन श्रीमद्भगवदगीता में किया गया है। श्रीमद्भगवदगीता में वर्ण अनुसार जो सचमुच ज्ञानी होते हैं वो ना तो उनका शोक करते हैं जो मर गए हैं और ना ही उनका शोक करते हैं जो अभी नहीं मरे हैं क्योंकि वह जानते हैं जो मर गया है वह फिर जन्म लेगा और जो अभी जीवित है वह एक दिन अवश्य मरेगा।
कहा गया है कि मरने वाला फिर जन्म लेता है क्योंकि मृत्यु के बाद केवल शरीर का नाश होता है लेकिन शरीर के अंदर जो आत्मा है वह कभी नहीं मरती। श्री कृष्ण कहते हैं हे पार्थ इस संसार में केवल दो ही वस्तु है एक शरीर और दूसरा उसमें रहने वाला शरीरी।
जो शरीर में रहने वाले आत्म रुपी शरीर है वह कभी मरता नहीं है और जो शरीर है वह सदा आपके साथ रहता है जिस प्रकार आत्मा एक शरीर को छोड़ती है और दूसरा शरीर धारण कर लेती है।
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इसे कुछ इस तरह समझा जा सकता है जैसे मनुष्य पुराने कपड़े त्याग कर नए कपड़े धारण कर लेता है उसी प्रकार आत्मा भी एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में प्रवेश कर लेती है यह कहना गलत नहीं होगा कि जो शरीर के असली महत्व को समझ लेता है वह ज्ञानी ऐसे शरीर की मृत्यु का शोक नहीं करता।
आगे श्री कृष्ण कहते हैं हे पार्थ तुम बस यह जान लो कि मृत्यु एक दरवाजा है जिसके अंदर जाते हुए आत्मा पुराना शरीर छोड़ देती है। वास्तव में मृत्यु और जन्म तो ऐसे दरवाजे हैं जो बिल्कुल एक दूसरे के आमने सामने है और जब प्राणी मृत्यु के दरवाजे पर पहुंचता है तब उस शरीर की मृत्यु हो जाती है फिर आत्मा का प्रकाश उस शरीर को छोड़कर आगे चला जाता है और उसके बाद वह प्रकाश जन्म के नए दरवाजे पर प्रवेश करता है।
यह जीवात्मा को फिर से एक नया शरीर प्राप्त होता है और वहां से उसके नए जन्म की नई यात्रा शुरू हो जाती है आगे श्री कृष्ण कहते हैं हे पार्थ आत्मा नित्य है इसलिए वह नहीं मरती परंतु शरीर नाशवान है इसलिए एक आत्मा के कई शरीर बदलते हैं इसलिए वह हर नए जन्म में नए-नए शरीर धारण करता रहता है।
हर जन्म में आत्मा ने शरीर तो बदलती ही है साथ ही हर एक जन्म में जो शरीर मिलता है वह शरीर भी उसी एक जन्म में अनेकों बार बदलता रहता है हमारा यह कहने से अभिप्राय यह है कि मनुष्य को जन्म के समय जो शरीर मिलता है वही शिशु का शरीर काल के प्रभाव से एक बालक का शरीर बन जाता है फिर वह किशोरावस्था में आता है फिर एक जवान पुरुष का शरीर बनता है फिर अधेड़ उम्र का फिर बूढ़े का शरीर लेकर अंत में जाकर यह शरीर एक सूखे पत्ते की तरह जीवन के वृक्ष से टूट कर गिर जाता है।
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इस प्रकार जो शरीर छिन्न- छिन्न भिन्न-भिन्न अपने विनाश की तरफ बढ़ रहा है ऐसे शरीर की मृत्यु का शोक करना कहीं से भी सही नहीं है और जो इस बात को समझ लेता है वे एक ज्ञानी की भांति है। मित्रों फूल की भांति हमारा शरीर अपनी प्रकृति के कारण जन्मते हैं जिसके चलते वह पहले बच्चे बनते हैं उसके बाद जवान होते हैं फिर भी जवानी मुरझाने लगती है जिसे बुढ़ापा कहते हैं। फिर जब उस वृद्ध शरीर को आत्मा छोड़ देती है तो शरीर की मृत्यु हो जाती है।
पुराना शरीर छोड़ने के पश्चात वह आत्मा नए शरीर में वास करती है फिर किसी शिशु के शरीर में चेतना का रूप लेकर वापस आ जाती है फिर वही चक्र शुरू हो जाता है फिर वही जन्मना, रेंगना, उठ के खड़े हो जाना, फिर लड़खड़ा कर गिर जाना सब शरीर के ही रूप है इतनी बात समझ लोगे तो ना तुम्हें किसी की मृत्यु का शोक होगा और ना ही तुम्हें मृत्यु का भय होगा।
मित्रों आप सभी के लिए इस बात को समझना बहुत आवश्यक है जब तक वह व्यक्ति जीवित था तब तक वह आपसे जुड़ा हुआ था परंतु अब वह दूसरी दुनिया में प्रवेश कर चुका है अब वह हमारी दुनिया का हिस्सा नहीं रहे है।
चाहे उस व्यक्ति की अकाल मृत्यु हुई हो या काल मृत्यु हुई हो। अकाल मृत्यु से यह है कि या तो उसकी मृत्यु की दुर्घटना के चलते हुई हो या किसी बीमारी के चलते हुई हो या फिर उसकी मृत्यु का कारण उसके जीवन काल की समाप्ति हो वह अपनी आगे की यात्रा के लिए प्रस्थान कर चुका है।
ये एक सामान्य क्रिया है जो आमतौर पर किसी जनमानस की मृत्यु के बाद की क्रिया होती है यदि हम उनको बार-बार याद करते हैं और अपनी भावनाओं को उनकी ओर जागृत करते हैं तो निश्चित रूप से उनको तकलीफ होगी इसलिए यदि आप उन्हें इस पीड़ा से बचाना चाहते हैं तो आप जितना हो सके उससे संपर्क स्थापित करने की कोशिश ना करें हो सके तो उनकी फोटो उनके कपड़े और उनकी यादों से जुड़ी कोई भी चीज आपके पास हो तो उसे हटा दें घर पर ना रखें।
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किसी करीबी की मौत के दुख से कैसे उबरें?
अब आपके मन में यह प्रश्न आ रहा होगा की किसी अपने को पूरी तरह से भूलना किस तरह से संभव है तो मित्रो आपको बता दे ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर आपको क्या करना चाहिए ऐसी स्थिति में उस मृत परिजन की पसंद की जो कोई भी चीज रही हो उसे जरूरतमंदो में बात देना चाहिए या खिला देना चाहिए या फिर उन्हें किसी प्रकार के कपड़े पसंद है तो उसे जरूरत मंदो में बाट देना चाहिए।
ऐसा कहा जा सकता है ये करने से उनकी आत्मा संतुष्ट हो सकती है। अपनी तरफ से बस यही एक फर्ज है जो आप पूरा कर सकते हैं मित्रो आप उस दुनिया को अभी नहीं जान सकते आपके द्वारा ये उम्मीद की वो आपका मृत परिजन आपका प्रतीक्षा कर रहा है इस बात में बिलकुल भी सत्यता नहीं है।
वो अपनी एक अलग दुनिया में है उसकी अलग तकलीफ है जो वह झेल रहा है इसलिए कभी-कभी वह सपनों में आकर हमें कुछ संदेश देते हैं यदि उनकी तरफ से आपको कोई भी ऐसे संकेत आते हैं तो आप बस कोशिश करिए कि आप उनको किसी तरह की प्रतिक्रिया या उत्तर ना दें परंतु यदि आपके सपने में उनकी तरफ से किसी तरह का कोई संदेश आता है और वह आपसे कोई मांग करते हैं तो कोशिश करें कि आप उनकी उस अधूरी इच्छा को अवस्य पूरा करें।
जैसे की उन्हें कुछ खाने की इच्छा है तो उसे गरीबों के बीच बाँट दे परंतु उनसे संबंधित यादों को पूरी तरह से हटा दें क्योंकि ऐसा करने पर वो आपकी ओर आकर्षित होती रहेगी और आगे की प्रगति नहीं कर पाएगी सोचिये यह कितना गंभीर हो सकता है ऐसा करने से पूरी की पूरी चैन ख़राब हो जाती है। एक जो आत्मा है जहां से विदा होना चाहती है और वह वहां से विदा नहीं हो पा रही है आप ने उसे रोक लिया है और आपकी यादों ने उसे यहां बांध लिया है बताया गया था जब उस आत्मा का जन्म होना था और उसके बाद का जो क्रम था वह पूरी तरह से बिगड़ जाता है।
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तो मित्रो हमारा यह सब कहने का उद्देश्य ये है कि यदि आप भी अपने घर परिवार में किसी मृत के शोक में डूबे हैं तो ऐसा बिल्कुल भी ना करें उनकी यादों को घर से हटा दें और अंतिम संस्कार करने के पश्चात उनकी यादों को अपने दिल से बिल्कुल हटा दे भले ही आपको उनसे हाथ जोड़कर माफी मांगनी पड़े की जब तक आप इस दुनिया में थे तब तक आपका और हमारा संबंध था आपके प्रति प्यार था आपका बहुत-बहुत शुक्रिया अब आप अपने आगे की यात्रा पर निश्चित रूप से जा सकते हैं।
साथ ही आपको यह भी बता दें अगर वह प्रेत योनि में है तो वह आप की ओर आकर्षित हो सकते हैं जिसके कारण आपका नुकसान हो सकता है क्योंकि अब वह आप से सीधे तौर पर जुड़े नहीं है इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए आप सभी को अपनी आगे की प्रक्रिया करनी चाहिए।
उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह कहना कि किसी अपने प्रियजन की मृत्यु पर शोक नहीं मनाना चाहिए अब खल नहीं रहा होगा। इसे अपने तक ही सीमित ना रखें बल्कि अपने दोस्तों एवं प्रियजनों के साथ भी शेयर करें और सनातन धर्म से जुड़ी ऐसी ही बाते जानने के लिए हमारे TELIGRAM चैनल को join करे।
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