माँ दुर्गा के 108 नाम, हिंदी अनुवाद सहित | 108 names of Maa Durga, With Hindi Translation

दुर्गा अष्टोतर सतनाम पाठ का श्रवण करने से परम साध्वी भगवती दुर्गा प्रसन्न हो साधक को मनवांछित फल प्रदान करती हैं एवं धन धान्य से परिपूर्ण कर देती हैं

108 names of Maa Durga - माँ दुर्गा के 108 नाम, हिंदी अनुवाद सहित

श्री दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् (दुर्गा 108 नाम)

ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी ।

आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी ॥

पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपाः। 

मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरूपा चिता चिंता ॥ 

सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्दस्वरूपिणी।

अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः॥

शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा । 

सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षयज्ञविनाशिनी ॥

अपर्णानेकवर्णा च पाटला पाटलावती।

पट्टाम्बरपरीधाना  कलमञ्जीररञ्जिनी ॥ 

अमेयविक्रमा क्रूरा सुन्दरी सुरसुन्दरी।

वनदुर्गा च मातङ्गी मतङ्गमुनिपूजिता॥ 

ब्राह्मी माहेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी तथा।

चामुण्डा चैव वाराही लक्ष्मीश्च पुरुषाकृति: ॥ 

विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिदा।

बहुला बहुलप्रेमा सर्ववाहनवाहना ॥ 

निशुम्भशुम्भहननी महिषासुरमर्दिनी।

मधुकैटभहन्त्री च चण्डमुण्डविनाशिनी॥

सर्वासुरविनाशा च सर्वदानवघातिनी। 

सर्वशास्त्रमयी सत्या सर्वास्त्रधारिणी तथा॥ 

अनेकशस्त्रहस्ता च अनेकास्त्रस्य धारिणी। 

कुमारी चैककन्या च कैशोरी युवती यतिः॥ 

 

अप्रौढा चैव प्रौढा च वृद्धमाता बलप्रदा। 

महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा मह्बला ॥ 

 

अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रिस्तपस्विनी। 

नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी ॥ 

शिवदूती कराली च अनन्ता परमेश्वरी। 

कात्यायनी च सावित्री प्रत्यक्षा ब्रह्मवादिनी ॥

माँ दुर्गा के 108 नाम हिंदी में :-

1 – सती

2 – साध्वी

3 – भवप्रीता (भगवान् शिवपर प्रीति रखनेवाली)

4 – भवानी,

5 – भवमोचनी (संसारबन्धनसे मुक्त करनेवाली)

6 – आर्या

7 – दुर्गा

8 – जया

9 – आद्या

10 – त्रिनेत्रा

11 – शूलधारिणी

12 – पिनाकधारिणी

13 – चित्रा

14 – चण्डघण्टा (प्रचण्ड स्वरसे घण्टानाद करनेवाली)

15 – महातपा (भारी तपस्या करनेवाली)

16 – मन (मनन- शक्ति)

17 – बुद्धि (बोधशक्ति)

18 – अहंकारा (अहंताका आश्रय)

19 – चित्तरूपा

20 – चिता

21 – चिति (चेतना)

22 – सर्वमन्त्रमयी

23 – सत्ता (सत्-स्वरूपा)

24 – सत्यानन्दस्वरूपिणी

25 – अनन्ता (जिनके स्वरूपका कहीं अन्त नहीं)

26 – भाविनी (सबको उत्पन्न करनेवाली)

27 – भाव्या (भावना एवं ध्यान करनेयोग्य)

28 – भव्या (कल्याणरूपा)

29 – अभव्या (जिससे बढ़कर भव्य कहीं है नहीं)

30 – सदागति

31 – शाम्भवी (शिवप्रिया)

32 – देवमाता

33 – चिन्ता

34 – रत्नप्रिया

35 – सर्वविद्या

36 – दक्षकन्या

37 – दक्षयज्ञविनाशिनी

38 – अपर्णा (तपस्या के समय पत्ते को भी न खानेवाली)

39 – अनेकवर्णा (अनेक रंगोंवाली)

40 – पाटला (लाल रंगवाली)

41 – पाटलावती (गुलाबके फूल या लाल फूल धारण करनेवाली)

42 – पट्टाम्बरपरीधाना (रेशमी वस्त्र पहननेवाली)

43 – कलमंजीररंजिनी (मधुर ध्वनि करनेवाले मंजीरको धारण करके प्रसन्न रहनेवाली)

44 – अमेयविक्रमा (असीम पराक्रमवाली)

45 – क्रूरा (दैत्योंके प्रति कठोर)

46 – सुन्दरी

47 – सुरसुन्दरी

48 – वनदुर्गा

49 – मातंगी

50 – मतंगमुनिपूजिता

51 – ब्राह्मी

52 – माहेश्वरी

53 – ऐन्द्री

54 – कौमारी

55 – वैष्णवी

56 – चामुण्डा

57 – वाराही

58 – लक्ष्मी

59 – पुरुषाकृति

60 – विमला

61 – उत्कर्षिणी

62 – ज्ञाना

63 – क्रिया

64 – नित्या

65 – बुद्धिदा

66 – बहुला

67 – बहुलप्रेमा

68 – सर्ववाहनवाहना

69 – निशुम्भ-शुम्भहननी

70 – महिषासुरमर्दिनी

71 – मधुकैटभहन्त्री

72 – चण्डमुण्डविनाशिनी

73 – सर्वासुरविनाशा

74 – सर्वदानवघातिनी

75 – सर्वशास्त्रमयी

76 – सत्या

77 – सर्वास्त्रधारिणी

78 – अनेकशस्त्रहस्ता

79 – अनेकास्त्रधारिणी

80 – कुमारी

81 – एककन्या,

82 – कैशोरी

83 – युवती

84 – यति

85 – अप्रौढा

86 – प्रौढा

87 – वृद्धमाता

88 – बलप्रदा

89 – महोदरी

90 – मुक्तकेशी

91 – घोररूपा

92 – महाबला

93 – अग्निज्वाला

94 – रौद्रमुखी

95 – कालरात्रि

96 – तपस्विनी

97 – नारायणी

98 – भद्रकाली

99 – विष्णुमाया

100 – जलोदरी

101 – शिवदूती

102 – कराली

103 – अनन्ता (विनाशरहिता)

104 – परमेश्वरी

105 – कात्यायनी

106 – सावित्री

107 – प्रत्यक्षा

108 – ब्रह्मवादिनी

 

माँ दुर्गा के 32 मान यहाँ पढ़े

 

दुर्गाष्टोत्तर शतनाम का पाठ करने से लाभ :-

1. जो प्रतिदिन दुर्गाजी के इस अष्टोत्तरशतनाम का पाठ करता है, उसके लिये तीनों लोकों में कुछ भी असाध्य नहीं रहता

 

2. अष्टोतर सतनाम का पाठ करने से धन, धान्य, पुत्र, स्त्री, घोड़ा, हाथी, धर्म आदि चारो पुरुषार्थो तथा अंत में सनातन मुक्ति भी प्राप्त हो जाती है

 

3. भौमवती अमावस्या की आधी रात में जब चन्द्रमा सतभिषा नक्षत्र पर हो उस समय इस स्त्रोत को लिख कर जो पाठ करता है, वह सम्पत्तिशाली होता है

 

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