बसंत पंचमी हिन्दू धर्म का त्यौहार हैं। भारत में इसे बहुत ही धूम-धाम और हर्षोलास के साथ मनाया जाता है। भारत के बाहर भी कई देश जैसे की बंगलादेश, नेपाल, भूटान और पाकिस्तान में भी मनाया जाता हैं वसन्त पंचमी होली से 40 दिन पहले मनाई जाती हैं, और इसी दिन से होलिका के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी जाती हैं। वसंत पंचमी के समय वातावरण बहुत ही अच्छा होता है, क्योंकि इस समय न तो ज्यादा सर्दी होती हैं न ही ज्यादा गर्मी होती हैं। बसंत पंचमी के दिन से भारत में बसंत ऋतु का आगमन होता है। तो आइये विस्तार से जानते हैं की वसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है।
बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है ?
बसंत पंचमी के दिन से भारत में बसंत ऋतु का आगमन होता है। बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है।
वसंत पंचमी हिन्दू धर्म का त्योहार है। इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की पूजा की जाती है।
माता सरस्वती को शारदा, वीणावादनी, वागीश्वरी, भगवती और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदान करने वाली हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की भी देवी हैं।
बसन्त पंचमी के दिन ही माँ सरस्वती प्रगट हुई थी इसलिए इसे माँ सरस्वती के जन्मदिन के उपलक्ष्य में भी मनाते है।
शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।
बसंत पंचमी पूजन विधि
बसंत पंचमी के दिन सूर्योदय के बाद से मध्य दिवस के पहले महा सरस्वती की पूजा अर्चना पंचोपचार, षोड़सोपचार और बड़े ही विधि विधान से और बड़े हर्सोल्लाश से की जाती है।
बसंत पंचमी के दिन मुहूर्त के अनुसार, साहित्य, शिक्षा, कला इत्यादि क्षेत्र से जुड़े हुऐ सभी लोग विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा आराधना करते है, साथ ही यदि सरस्वती स्त्रोत भी पढ़ा जाए तो देवी प्रसन्न होकर अपनी कृपा प्रदान करती है, जिससे अच्छे और आशचर्य चकित परिणाम प्राप्त होते है।
बसंत पंचमी का दिन एवं मुहूर्त 2023 :-
बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023, दिन गुरुवार को होने जा रही है।
बसंत पंचमी पूजा समय (मुहूर्त) 2023 :-
पंचमी तिथि शुरू – 12:34 (दोपहर से) – 25 जनवरी 2023
पंचमी तिथि का समापन – 10:28 (सुबह तक) – 26 जनवरी 2023
बसंत पंचमी का महत्व
इस दिन का संबंध ज्ञान, शिक्षा से है लोगो की मान्यता है की इस दिन विद्या, कला, विज्ञान, ज्ञान और संगीत की देवी माँ सरस्वती का जन्म हुआ था।
इसलिए इस दिन को भक्त लोगे माँ सरस्वती की पूजा पाठ और मंत्र जाप आदि करते है साथ ही माँ सरस्वती का स्त्रोत, सरस्वती वन्दना और चालीसा भी पढ़ते है। और माँ सरस्वती को श्रद्धा सुमन समर्पित करते है।
ऐसा माना जाता है की इस दिन जो माँ सरस्वती की पूजा पाठ और वन्दना करते है, उन्हें ज्ञान और रचनात्मकता का आशीर्वाद मिलता है।
बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का क्या महत्व है ?
पीला रंग प्रकाश, ऊर्जा, समृद्धि और आशीर्वाद का प्रतीक है। इसीलिए लोग इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और पीले रंग में पारंपरिक व्यंजनों और पकवानो को बनातें है।
पीला रंग इस बात का भी सूचक है कि फसलें पकने वाली हैं, खेतों में जौ और गेहूं की बालियां खिल उठती हैं, सरसों सोने की तहर चमकने लगता है, इस पर्व के साथ शुरू होने वाली वसंत ऋतु के दौरान फूलों पर बहार आ जाती है, और इधर उधर रंग बिरंगी तितलियां उड़ती दिखने लगती हैं।
इस आर्टिकल में हमने विस्तार से बताने की कोशिश की है – ‘वसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है’, और इसका महत्व क्या है। आशा है की आपको ये पोस्ट पसंद आई होगी और आपके सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे। यदि आपका अभी भी कोई सवाल है या आप कोई सुझाव देना चाहते है तो निचे Comment के माध्यम से बता सकते है।
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