Thursday Fast: आज हम जानेंगे बृहस्पतिवार व्रत (गुरुवार व्रत) के बारे में की यह व्रत क्यों रखा जाता है, इसकी कथा क्या है, इस व्रत को किस प्रकार रखना चाहिए इसकी विधि क्या है, गुरुवार व्रत के लाभ क्या है, इस दिन क्या दान करे, गुरुवार के दिन दान के लाभ, इस दिन क्या न करे
गुरुवार का दिन भगवन विष्णु और गुरु बृहस्पति को समर्पित है। गुरुवार का व्रत गुरु बृहस्पति के लिए ही किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि बृहस्पतिवार का व्रत करने वाले की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, आर्थिक स्थिति में सुधार होता है, जिन्हे संतान नहीं है उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है, विवाह में आ रही सारी बाधाएं नष्ट हो जाती हैं साथ ही सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।
बृहस्पति (गुरुवार) व्रत पूजा विधि
सबसे पहले तो ध्यान रखें कि इस व्रत का आरंभ शुक्ल पक्ष के गुरूवार से करें क्योंकि शुक्ल पक्ष को व्रत एवं पर्व के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
उपवास वाले दिन प्रात काल जल्दी उठकर निवृत्त होकर स्नान करें और स्वच्छ एवं पीले रंग के वस्त्र धारण करें। गुरु बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं इसी प्रकार पीला रंग संपन्नता का प्रतीक है इस कारण इस दिन को पीले रंग को समर्पित किया गया है पीले वस्त्र धारण करने के पश्चात
घर में पूजा घर या केले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की प्रतिमा अथवा चित्र रखकर श्री नारायण को प्रणाम करें और भगवान के सामने घी का दीप प्रज्वलित करें भगवान को तिलक एवं चावल लगाएं तिलक के लिए आप हल्दी या केसर प्रयोग कर सकते हैं।
अब उन्हें कोई नया पीले रंग का वस्त्र अर्पित करें एक कलश में जल भरकर इस में हल्दी डालकर पूजा के स्थान पर रखदे पूजा में पीले फल, मुनक्के, पीली मिठाई एवं पीले पुष्प रखें भगवान को पुष्प अर्पित करें और उनका ध्यान करें और विष्णु जी को गुड़ और चने की दाल का भोग लगाएं फिर गुरुवार व्रत कथा का पाठ करें अब
ॐ गुं गुरुवे नमः
मंत्र का जप करें आप जप 11 बार यह संभव हो तो एक माला (108 बार) का भी कर सकते हैं।
अब बृहस्पति देव एवं भगवान विष्णु की आरती करें।
इसके पश्चात प्रणाम कर हल्दी वाला पानी केले के पेड़ या किसी अन्य पेड़ में डाल दें, अब चने की दाल और गुड़ का प्रसाद घर में सबको बांट दें।
गुरुवार (बृहस्पतिवार) व्रत कथा
एक समय की बात है एक गांव में एक साहूकार रहते थे उनके घर में बहुत सी धन संपत्ति थी साहूकार बहुत बड़े दयालु थे साथ ही वो दानी और धार्मिक स्वभाव के थे। वे बहुत दान पुण्य करते थे और जो भी उनके द्वार पर सहायता के लिए आता था उसे कभी भी निराश नहीं करते थे।
वही उनकी पत्नी बहुत कंजूस थी वह साधु को भी दान नहीं देती थी इतना ही नहीं वह साहूकार को भी किसी को भी पैसे देने से मना करती थी। एक बार साहूकार किसी कार्य बस बाहर गए हुए थे तब एक साथ उनके घर पधारे घर में केवल साहूकार की पत्नी ही थी वो उस समय अपने घर को लीप रही थी।
उसने साधु से कहा कि हे साधु बाबा मैं अभी अपना घर लीप रही हूं अभी आपको कुछ नहीं दे सकती आप बाद में आइएगा साधु चले गए। कुछ दिन पश्चात साधु पुनः उसके घर पर पधारे।
इस बार साहूकार की पत्नी ने कहा मैं अभी अपने पुत्र को भोजन करा रही हूं। मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं है अभी मैं आपको भिक्षा नहीं दे सकती आप कृपा करके किसी और समय आइएगा महात्मा फिर से बिना कुछ लिए ही लौट गए।
और कुछ दिन पश्चात फिर से उसके द्वार पर आये और इस बार भी साहूकार की पत्नी ने कुछ बहाना बनाया उसने कहा मैं बहुत व्यस्त हूं आपको बिछा नहीं दे सकती तक साधु ने कहा कि यदि तुम्हें प्रतिदिन और प्रतिक्षण का अवकाश मिल जाए, तुम्हारे पास कुछ भी करने को ना हो तब क्या तुम मुझे दान दे दोगी।
साहूकार की पत्नी ने कहा जी महाराज यदि मुझे हर समय का अवकाश मिल जाए तो बहुत कृपा होगी तब साधु ने कहा कि ठीक है जैसा मैं कहूं वैसा ही करना साधु ने कहा कि तुम हर बृहस्पतिवार दिन निकलने के बाद उठो, फिर घर में झाड़ू लगाकर कूड़ा एक ही कोने में इकट्ठा कर दो उसे बाहर मत फेको, घर में चौका आदि भी मत लगाओ, भोजन बनाने के पश्चात भोजन चूल्हे के पीछे रखो।
साहूकार से कहो कि हर बृहस्पतिवार हजामत बनवाएं, इस दिन पीले वस्त्र भूल कर भी मत धारण करो, संध्या में अंधकार होने के बाद ही दीप प्रज्वलित करो बृहस्पतिवार के दिन कोई पीले रंग का भोजन भी मत ग्रहण करो यह सब करने से तुम बिल्कुल भी घर के कार्य में व्यस्त नहीं रहोगी तुम्हारे पास समय ही समय होगा।
जैसा साधु ने कहा साहूकार की पत्नी ने बिल्कुल वैसा ही किया कुछ बृहस्पतिवार बीतने के बाद उसके घर से धन और संपत्ति सब चले गए यहां तक कि एक एक अन्य के दाने के लिए भी वे तरसने लगे।
कुछ दिन पश्चात साधु पुनः पधारें तब साहूकार की पत्नी ने कहा कि हे साधु बाबा मेरे घर में अन्न का एक दाना भी नहीं है मैं आपको क्या दूं?
साधु ने कहा कि जब तुम समृद्धि थी तब भी तुमने मुझे खाली हाथ लौटाया क्योंकि तुम्हारे पास समय नहीं था और अब जब तुम्हारे पास पूरा अवकाश है तब भी तुम मुझे भिक्षा देने से मना कर रही हो तुम चाहती क्या हो?
तब साहूकार की पत्नी ने हाथ जोड़कर कहा मुझे क्षमा करें साधु बाबा कृपा करके कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे मेरे घर में पहले की तरह धन एवं समृद्धि आए मैं कभी आपको खाली हाथ नहीं लौटाऊंगी।
तब साधु ने कहा कि प्रति बृहस्पति को भोर में जल्दी उठकर स्नान आदि करके पीले वस्त्र धारण करो, पूरे घर को गाय के गोबर से लिपो, घर में जो भी पुरुष है उनको हजामत ना बनवाने के लिए कहो, संध्या में अंधकार होने से पहले ही दीप प्रज्ज्वलित करो, ऐसा करने से तुम्हारी सभी इच्छाएं गुरु बृहस्पति पूर्ण करेंगे।
साहूकार की पत्नी ने साधु के कहे अनुसार ही सभी कार्य किए और उसके घर में फिर से धन संपत्ति का आगमन हुआ। इस प्रकार सभी कार्य करते हुए बृहस्पति का व्रत और कथा करने से गुरु बृहस्पति अति प्रसन्न होते हैं और घर में समृद्धि वास करती है।
बृहस्पतिवार (गुरुवार) व्रत में क्या खाये
बिना नमक का कोई भी पीले रंग का भोजन ग्रहण करें। गुरुवार व्रत में एक ही बार भोजन किया जाता है यदि आप भोजन नहीं करना चाहे तो केवल पीले फल अथवा मिठाई ग्रहण करके भी व्रत पूर्ण कर सकते हैं।
बृहस्पतिवार को विष्णु भगवान के व्रत में मुख्यरुप से चने की दाल से बने हुए आहार को फलाहार के रुप में लिया जाता है जैसे – बेसन का चिल्ला ,पूड़ी, रोटी आदि आप दही के साथ या किसी दूसरी मीठी चीज़ो के साथ खा सकते है। दिन में अगर आप चाहे तो शुद्धता का ध्यान रखते हुऐ दूध, चाय, या सरबत पी सकते है और फलो का सेवन भी कर सकते है।
आप जमीन के नीचे होने वाले जैसे – आलू, शकरकंद, मोमफली आदि चीजे भी खा सकते है।
ध्यान दे की व्रत में केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करे।
गुरुवार के दिन दान के लाभ (गुरुवार के दिन क्या दान करना चाहिए)
- गुरुवार के दिन पीली वस्तुएं दान करने से घर में सुख समृद्धि और प्रसन्नता का आगमन होता है।
- विष्णु भगवन को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार को हल्दी का दान करना चाहिए।
- ब्राह्मण को पीले रंग के वस्ता दान में देना लाभकारी है।
- पीले रंग के अनाज का दान करने से भाग्य तेज होता है।
- कार्य में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए चीनी और दूध का दान करे।
गुरुवार के दिन क्या न करे (Do’s and Don’ts in Thursday Fast)
यह व्रत रखने वालों को कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है जैस
- आप पूरे दिन मन में गलत विचार ना लाएं।
- गुरुवार के दिन घर में पोछा नहीं लगाना चाहिए।
- ना ही कपड़े धोना चाहिए।
- इस दिन किसी को भी पैसे ना दे।
- गुरुवार के दिन नाख़ून न काटे।
- पुरुषों को बाल नहीं कटवाने चाहिए और ना ही दाढ़ी बनानी चाहिए।
- इस दिन नमक भी न खाये और केवल पीला भोजन ही ग्रहण करें।
इसी के साथ पूर्ण होता है आपका बृहस्पतिवार का व्रत। यहाँ हमने विस्तार से चर्चा की है की बृहस्पतिवार व्रत (गुरुवार) व्रत क्यों रखा जाता है, इसकी कथा क्या है और इस व्रत को किस प्रकार रखना चाहिए इसकी विधि क्या है, गुरुवार व्रत के लाभ क्या है, इस दिन क्या दान करे, गुरुवार के दिन दान के लाभ, इस दिन क्या न करे, आशा करते है की आप को यह जानकारी पसंद आई।