हनुमान जी ने 11 मुखी रूप क्यों लिया | हनुमान के 11 मुख कौन से है, इनकी पूजा से लाभ

रुद्र के अवतार हनुमान जी ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं। इनकी आराधना से बल, कीर्ति, आरोग्य और निर्भीकता बढ़ती है। हनुमान जी कालजई वा चिरंजीवी देवता माने जाते हैं। यही कारण है कि श्री हनुमान चरित्र या नाम स्मरण ही हर युग या काल में जगत के लिए संकट मोचन व विघ्न हरण का बेहतर रास्ता माना गया है। 

शास्त्रों में चरित्र शक्तियों और गुणों के आधार पर श्री हनुमान जी के भी अनेक रूपो वा अवतारो की महिमा बताई गई है उन्हीं में से एक रूप एकादश मुखी हनुमान जी के बारे में आज हम विस्तार से जानेंगे। आइए जानते हैं महाबली हनुमान जी ने क्यों धरा था अति शक्तिशाली एकादश रूप। 

हनुमान जी के 11 मुखी रूप लेने का कारण

प्राचीन काल में कारकाल नाम का नाम का एक अति शक्तिशाली राक्षस हुआ था। 11 मुख वाले उस राक्षस ने कई काल तक ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की थी। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी उसके समक्ष प्रकट हुए और उन्होंने उस राक्षस से वरदान मांगने को कहा।

कालकारमुख ने ब्रम्हा जी से अमरता का वरदान मांगा। इस पर ब्रह्माजी बोले कि यह असंभव है यौम कोई दूसरा वरदान मागो तब वह राक्षस बोला ठीक है तब आप मुझे ऐसा वरदान दीजिए कि जो भी मेरे जन्म की तिथि पर 11 मुख धारण करें वही मुझे मारने में सक्षम हो।

हनुमान जी ने 11 मुखी रूप क्यों लिया | Why did Hanuman take form of 11 faces

तब वहां तथास्तु कहकर ब्रह्मा जी अंतर्ध्यान हो गए। ब्रह्मा जी से वरदान पाने के उपरांत उसने देवो और उनकी सेना को आतंकित करना आरंभ कर दिया और अपनी सेना के साथ चढ़ाई कर समस्त देवों को पराजित कर दिया और वह राक्षस समग्र लोक में भयंकर उत्पात मचाने लगा। 

तब वह असहाय देव भगवान विष्णु जी के पास गए और उनसे सहायता की गुहार लगाने लगे। 

विष्णु जी बोले मय पहले से ही श्री राम के रूप में पृथ्वी पर मौजूद हूं। इसके निवारण के लिए आप कृपया भगवान राम के पास जाए। 

सभी देवता गण श्री राम के पास पहुंचे और उन्हें सब  ज्ञात  करवाया। 

श्री राम बोले ऐसी विकट स्थिति से संकट मोचन महाबली हनुमान ही हमारी मदद कर सकते हैं तब श्री राम ने हनुमान जी को बुलाया हनुमान जी तुरंत वहां प्रकट हुए। 

सभी देवताओं ने हनुमान जी को सब बताया और उनसे इस राक्षस से छुटकारा पाने की गुहार लगाई। 

प्रभु श्री राम भी हनुमान जी से बोले धर्म भारी संकट में पड़ गया है उसे निश्तार करो। 

प्रभु की आज्ञा सादर शिरोधार्य कर कपीश हनुमान जी ने चैत्र पूर्णिमा इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में भी माना जाता है को 11 मुखी रूप ग्रहण किया जो उस राक्षस की जन्मतिथि भी थी। 

यह समाचार सुन कालकार ने अपनी विशाल सेना सहित हनुमान जी पर धावा बोल दिया। 

हनुमान जी कालकारमुख को देखकर क्रोधित हो उठे उन्होंने क्षण भर में ही उस राक्षस की विशाल सेना को नष्ट कर दिया। यह देखकर समस्त देवता प्रफुल्लित हो उठे। 

फिर हनुमान जी झपट कर कालकारमुख की गर्दन पकड़कर उसे बड़ी वेग में आकाश में ले गए और वह उसका वध कर दिया। 

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हनुमान के 11 मुख कौन से है, पूजा करने के लाभ

भगवान हनुमान के 11 मुख निम्न्लिखित बातो का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह आपकी अलग-अलग मनोकामनाओं की पूर्ति करती है। 

1. हनुमान मुख – यह चेहरा सत्रुओ पर विजय का प्रतीक है।  

2. श्री राम – यह मुख श्री राम की शक्तिओ और आशीर्वाद का प्रतिनिधित्व करता है। 

3. भगवान शिव मुख – यह चेहरा भगवन शिव का आशीर्वाद देता है। 

4. अग्निदेव मुख –  यह मुख आपको बीमारियों से बचाता है। 

5. नागमुखी – यह चेहरा नागो एवं सरीसर्पों से भय को खत्म करता है। 

6. भगवान गणेश मुख – यह चेहरा ज्ञान का प्रतिनिधित्व  करता है। 

7. हैग्रित मुख – इस चेहरे से शुभ कार्यों की उत्पत्ति होती है। 

8. गरुड़ मुख – यह चेहरा आपको समस्याओं से छुटकारा दिलाने में सहायता करता है। 

9. नरसिंघ मुख – यह चेहरा आपको भय और मानसिक बीमारी से मुक्त होने में सहायता करता है।

10. भैंरव मुख – यह चेहरा आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है।

11. वाराह मुख – यह चेहरा आपको रोगो से छुटकार दिलाने में मदत करता है। 

तो ये थी जानकारी की हनुमान जी ने 11 मुखी रूप क्यों लिया, इसके पीछे की पौराणिक कथा, हनुमान जी के वो 11 मुख कौन-कौन से है, और 11 मुखी बजरंगबली की पूजा करने के क्या लाभ है। अगर आपको यह जानकारी अच्छी और उपयोगी लगी हो तो इसे अपने मित्रो और प्रियजनों के साथ अवश्य शेयर करे। साथ ही हमें कमेन्ट के माध्यम से भी बता सकते है।

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