महिलाओं का श्मशान घाट जाना वर्जित क्यों है | महिला श्मशान क्यों नहीं जाती, कारण

हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार से जुड़ी कई मान्यताये है, उन्ही में से एक है कि जब भी किसी की मृत्यु हो जाए तो परिवार की महिलाओं को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट नहीं जाना चाहिए। हिंदू पुराणों में महिलाओं को श्मशान घाट जाना वर्जित बताया गया है और साथ ही यह भी बताया गया है कि महिलाओं को श्मशान घाट क्यों नहीं जाना चाहिए और इसके पीछे का कारण क्या है। 

आज हम जानेगे की आखिर महिला श्मशान क्यों नहीं जाती जिसका वर्णन गरुड़ पुराण में किया गया है, हाला कि आज के समय कई जगह महिलाएं अंतिम संस्कार के दौरान श्मशान घाट जाने लगी है। ऐसे में यह जानना आवश्यक हो जाता है कि आखिर पुराणों में इसे वर्जित क्यों माना गया है और इसके पीछे का कारण क्या है।

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महिलाओ के श्मशान घाट न जाने के पीछे कारण

1. गरुड़ पुराण में वर्णित कथा के अनुसार महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा कमजोर दिल का माना चाहता है और ऐसी मान्यता है कि यदि मृत शरीर को अग्नि दाह देते समय कोई रोता है तब उस व्यक्ति की आत्मा को शांति नहीं मिलती और महिलाओं का शव जलते समय देखना और रोए बिना रुक जाना असंभव सा लगता है इसलिए महिलाओं को श्मशान घाट ले जाना वर्जित है।  

2. श्मशान घाट में ऐसी और भी चीजें हैं जिनका देखना महिलाओं और बच्चों के लिए उचित नहीं है जैसे शव को जलाने से पूर्व उसके कपार में डंडे से मारा जाता है जो की एक परंपरा है लेकिन महिलाओं और बच्चों के लिए यह दृश्य देखना उनको मानसिक स्तर पर भी प्रभावित कर सकता है 

3. बहुत बार शव जलते समय अखड़ते हुए आवाज करता है जो कि महिलाओं और बच्चों को डरा भी सकता है इसीलिये उन्हें इस प्रक्रिया से दूर रखा जाना उचित समझा गया है। 

प्रत्येक धर्म की अपनी अलग अलग संस्कृति और मान्यताएं होती है इसी तरह  हमारे हिंदू धर्म में भी कुछ और ऐसी मान्यताएं महिलाओं के शमशान न जाने को लेकर प्रचलित है। 

4. गरुड़ पुराण में से एक मान्यता यह भी है कि शव को दाहसंस्कार के लिए ले जाने के बाद घर को धार्मिक रूप से पवित्र और शुद्ध बनाया जाना बहुत आवश्यक है। इसके लिए किसी का घर पर रहकर इस कार्य को पूरे  जिम्मेदारी और विधि-विधान से करना अनिवार्य है। 

यह जिम्मेदारी महिलाएं अच्छे से निभा सकती है। यही सोच कर पुरुषो को शमशान घाट जा कर शव की अग्निदाह की जिम्मेदारी सौंपी गई है और जिम्मेदारी के दूसरे पहलू को निभाने का उत्तरदाई महिलाओं को माना गया है। जिसे महिलाये पुरुष के घर आने के बाद उन्हें स्नान कराने और पवित्र करने का कार्य करती है। 

5. एक कारण यह भी है कि जब शव जलाया जाता है तब वातावरण में किटाणू फैल जाते है जो की शरीर के कोमल भागों पर चिपक कर बीमारी का कारण बन सकते हैं, इसीलिए घर में प्रवेश करने से पहले उनके शरीर पर चिपके उन कीटाणु और नकारात्मक ऊर्जा को घर के बाहर ही छोड़ने के लिए ऐसा किया जाता है। 

शुद्धि के बाद ही उन्हें घर में प्रवेश करने की अनुमति होती है यदि ऐसा ना  किया जाए तो इसे अशुभ और घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश माना जाता है। 

6. यदि आप भूत-प्रेतों में विश्वास करते हैं तो आप इस कारण को ज्यादा अच्छे से समझ पाएंगे ऐसा कहा जाता है कि शमशान घाट में बुरी आत्माओ का वाश होता है। जो कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं और खासकर कुंवारी महिलाओं की तरफ 

माना जाता है कि भूत प्रेत अपना प्रभाव कुमारी महिलाओं पर ज्यादा डालते हैं और उन्हें अपने बस में कर उनके शरीर में प्रवेश करते हैं। भूत प्रेतों के इस भयावह प्रभाव से बचने के लिए महिलाओं को शमशान घाट ले जाने से डरा जाता है। 

7. हिंदू धर्म के संस्कृति के अनुसार यह भी कहा जाता है कि जो भी परिवार का सदस्य श्मशान घाट जाकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में शामिल होता है उसके लिए अपना सिर मुंडवाना अनिवार्य हो जाता है। चाहे फिर वह स्त्री हो या पुरुष उसके लिए इस परंपरा का पालन करना जरूरी है। 

इसलिए भी महिलाओं को श्मशान घाट नहीं जाने दिया जाता क्योंकि किसी भी स्त्री के लिए पूर्ण रूप से अपने बालों को मुंडवाना संभव नहीं पुरुषों के लिए मुंडन करवाना कोई गंभीर समस्या नहीं परंतु महिलाओं के लिए ऐसा करना उनके हिंदू धर्म में वर्णित रूप से खिलाफ है। 

ये आवश्यक नहीं कि ऐसा सभी करते है ये लोगो की मनोवृति पर निर्भर करता है की वो कौन सी मान्यताओं और परंपराओं को मानाना चाहते हैं क्योंकि आजकल कई महिलाएं इन परंपराओं को नजरअंदाज करते हुए अंतिम संस्कार में शामिल होती है परंतु मुंडन की परंपरा को नहीं मानती। 

ये तो अपने कई बार सुना होगा कि हमारी संस्कृति हमारी पहचान है इसीलिए उस संस्कृति को आगे बढ़ाना और निभाना हमारी जिम्मेदारी बन जाती है। हालांकि संस्कृति और परंपराओं का पालन करना प्रत्येक की अपनी इच्छा पर निर्भर करता है। परन्तु बहुत से लोग इसे अंधविश्वास मानकर नजरअंदाज कर लेते हैं। ऐसा नहीं है कि धर्म में वर्णित मान्यताएं परंपरा का कोई आधार नहीं प्रत्येक का एक कारण, महत्व और संकेत है जिस सिर्फ जानने की आवश्यकता है।

तो यही समाप्त होती है यह जानकारी की महिलाओं का श्मशान घाट जाना वर्जित क्यों है, और इसके पीछे का कारण क्या है। 

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