कलयुग में समस्त कामनाओ को सिद्ध करने वाला जो साधन है, वह है अम्बा स्तुति। अम्बा स्तुति करने से जगदम्बा प्रसन्न होकर साधक को धर्म अर्थ, काम, मोक्ष प्रदान करती है। इसे दुर्गा सप्तश्लोकी कहते हैं।
विनियोग-
ॐ अस्य श्रीदुर्गासप्तश्लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः,
अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवताः,
श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकीदुर्गापाठे विनियोगः।
श्लोक
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।
दारिद्र्य दुःख भय हारिणी का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता ॥२॥
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते॥३॥
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥४॥
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा
रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति ॥६॥
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम् ॥७॥
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम् ॥७॥
विनयोग का हिंदी अनुवाद-
श्लोक का हिंदी अनुवाद –
भगवती महामाया देवी ज्ञानियों के भी चित्तको बलपूर्वक खींचकर मोह में डाल देती हैं॥१॥
नारायणी! तुम सब प्रकार के मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी माँ हो। कल्याणदायिनी शिवा हो। सब पुरुषार्थोंको सिद्ध करनेवाली, शरणागत वत्सला, तीन नेत्रोंवाली एवं गौरी हो। तुम्हें नमस्कार है ॥ ३॥
सर्वेश्वरि! तुम इसी प्रकार तीनों लोकों एवं ब्रम्हाण्ड की समस्त बाधाओं को शान्त व दूर करो और हमारे समस्त शत्रुओं का सदा नाश करती रहो॥७॥