नाग पंचमी हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहार में से एक है। सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्तो द्वारा नाग देवता की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है।
आज की कथा में हम जानेंगे कि नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है आखिर क्यों नागो को पंचमी अति प्रिय है।
नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है?
समुद्र मंथन के समय उच्चैस्वा नामक अश्व की उत्पत्ति हुई जो श्वेत रंग और सभी अश्वो में रत्नरूप था उसे देखकर नागों की माता कद्रू ने अपनी बहन विनता से कहा अमृत से उत्पन्न हुए इस घोड़े को श्वेत और घोड़ों में रत्नरूप है मैं देख रही हूं पर वह काला भी है तुम भी आकाश में उसके काले बाल को देखती तो हो या श्वेत वर्ण देखती हो।
विनता ने कहां यह उत्तम घोड़ा सर्वांग श्वेत है इसके बाल ना काले हैं और ना लाल तुम इसे काला कैसे देख रही हो। कद्रू ने कहां मेरी तो एक ही आंख है पर उस काले बाल वाले को मैं देख रही हूं और तुम्हारी दो आंखें हैं फिर भी तुम नहीं देख पा रही हो तो फिर बाजी लगाओ।
विनता ने कहा यदि उसके काले बाल को तू देखेगी तो मैं आजीवन तेरी दासी बन कर रहूंगी नहीं तो तू मेरी दासी बनकर रहेगी। इस प्रकार उन दोनों ने गुस्से में शर्त रखी और जब विनता शैनागार में सो गई तब कद्रू ने छल करके की सोची।
वो अपने बेटों को बुलाकर कहने लगी कि बाल की भांति उस घोड़े की पूंछ में चिपट जाओ जिससे इस बाजी में मैं विनता से जीत जाऊं।
इसे सुनकर ने नागो ने अपनी छल करने वाली माता से कहाँ माँ ऐसा करना अधर्म है अतः हम लोग इस बात को नहीं मानेंगे।
कद्रू ने गुस्से में आकर उन्हें श्राप दे दिया और बोली तुम्हें अग्नी जला डाले। बहुत दिन बीतने पर पांडव जन्मेजय इस प्रकार की सर्प यज्ञ जो पृथ्वी में दूसरों के लिए महा कठिन है आरंभ करेंगे उसी यज्ञ की प्रचंड ज्वाला तुम्हे जलाएगी।
माता द्वारा श्रापित होकर नागों को भी कर्तव्य ना ज्ञान रहा उसी समय वासुकि जो माता के श्राप से दुखी हो गए थे उन्हें ब्रह्मा जी ने कहा कि वासुकि तुम अधिक चिंता ना करो मेरी बात सुनो
उसी समय ययावर कुल में महा तेजस्वी एवं तपो मूर्ति जरत कारू नामक ब्राम्हण उत्पन्न होगा उसे तुम अपनी बहन पत्नी रूप में अर्पित करोगे। उससे आस्तीक नाम का एक पुत्र उत्पन्न होगा।
तदुपरांत वह बुद्धिमान ब्राह्मण उत्तम वाणी द्वारा प्रार्थना करके नागों के लिए आरंभ किए गए उस महान और भयंकर यज्ञ को रुकवा देगा।
ब्रह्मा जी ने कहा वे नाग जो उस यज्ञ में दग्ध होने वे अधर्मी होंगे उस प्रचंड ज्वाला के सागर से उन्हें बचाने के लिए आस्तीक समुद्र में नौका की तरह पहुंचेगा।
ब्रह्मा जी ने कहा सर्पों की रक्षा का कार्य पंचमी में ही होगा इसीलिए पंचमी नागों को अति प्रिय हुई।
नाग पंचमी का महत्व (Nag Panchami Puja benefits in Hindi)
इस दिन पहले ब्राह्मणों को भली प्रकार से भोजन कराकर नागों का विसर्जन करते हुए उनसे प्रार्थना करें। इस दिन घी, खीर और गुग्गल द्वारा नागों का पूजन अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से नागों की कृपा उस परिवार पर सदा बनी रहती है।
अगर आप के कुंडली में कोई दोष है खासकर कालसर्प दोष है तो नाग पंचमी के दिन पूजा करने से दोषो से छुटकारा मिलता है।
भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक करने के लिए भी ये दिन बहुत अच्छा माना जाता है।
अगर आप के कुंडली में राहू दोष है तो तो इस दिन रुद्राभिषेक करना लाभकारी होगा।
तो ये थी जानकारी की नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है, इसका महत्व क्या है।अगर आपको यह जानकारी अच्छी और उपयोगी लगी हो तो इसे अपने मित्रो और प्रियजनों के साथ अवश्य शेयर करे, साथ ही हमें कमेन्ट के माध्यम से भी बता सकते है।