सिद्ध कुंजिका स्तोत्र, हिंदी अनुवाद सहित | Durga Saptashati Siddha Kunjika Stotra

सिद्ध कुंजिका, श्री दुर्गा सप्तसती नामक पुस्तक में अत्यंत एवं अति दुर्लभ गोपनीय से भी अति गोपनीय रहस्यों का भी रहस्य है। इस मंत्र के प्रभाव से देवी का जप (पाठ) सफल होता है। इसमें कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, ध्यान, न्यास, पूजा-अर्चन भी आवश्यक नहीं है।

केवल कुंञ्जिका के पाठ मात्र से ही दुर्गा पाठ का फल प्राप्त हो जाता है। इस कुंजिका को हमेशा गोपनीय रखना चाहिए। जगत जननी जगदम्बा के विशेष भक्तो को ही देना चाहिए।

Durga | Siddha Kunjika Stotra | सिद्ध कुंजिका स्तोत्र, हिंदी अनुवाद सहित

इस अति उत्तम कुंजिका स्त्रोत के केवल पाठ मात्र से मारण, मोहन, वशीकरण, स्तम्भन और उच्चाटन आदि उद्देश्यो को सिद्ध करता है।

(मारण – काम, क्रोध का नाश, मोहन – ईस्ट देव का मोहन, वशीकरण – मन का वशीकरण, स्तम्भन – इन्द्रियों के विषयो के प्रति उदासीन, उच्चाटन – मोक्ष प्राप्ति के लिए छटपटाहट)

इस उद्देश्य से ये सभी, इस स्त्रोत्र का सेवन करने से सफल होते है।

सिद्ध कुंजिका मंत्र :-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥ ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं स:

ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

नमः कैटभहारिण्यै नमस्तेमहिषार्दिनि॥१॥

 

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै निशुम्भासुरघातिनि।

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ॥ २ ॥

 

ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते ॥ ३ ॥

 

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥४॥

 

धां धीं धूं धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।

क्रां क्रीं कूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥ ५॥

 

हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।

भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ॥ ६ ॥

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ ७ ॥

 

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे ॥ ८॥

 

इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे।

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥

 

यस्तु कुञ्जिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्।

न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥

सिद्ध कुंजिका मंत्र का हिंदी अनुवाद

मन्त्र – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥

ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥

 

(मन्त्र में आये बीजों का अर्थ जानना न सम्भव है, न आवश्यक और न वांछनीय। केवल जप पर्याप्त है।)

हे रुद्रस्वरूपिणी! तुम्हें नमस्कार। हे मधु दैत्यको मारनेवाली! तुम्हें नमस्कार है। कैटभविनाशिनी को नमस्कार। महिषासुर को मारने वाली देवी! तुम्हें नमस्कार है॥१॥

शुम्भ का हनन करनेवाली और निशुम्भ को मारनेवाली! तुम्हें नमस्कार है। हे महादेवि! मेरे जपको जाग्रत् और सिद्ध करो ॥२ ॥

‘ऐंकार’ के रूप में सृष्टिस्वरूपिणी, ‘ह्रीं’ के रूपमें सृष्टिपालन करनेवाली। ‘क्लीं’ के रूपमें कामरूपिणी (तथा निखिल ब्रह्माण्ड)- की बीजरूपिणी देवी! तुम्हें नमस्कार है॥३॥

चामुण्डाके रूपमें चण्डविनाशिनी और ‘यैकार’ के रूपमें तुम वर देनेवाली हो। ‘विच्चे’ रूपमें तुम नित्य ही अभय देती हो। (इस प्रकार ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’) तुम इस मन्त्रका स्वरूप हो॥४॥

धां धीं धूं के रूपमें धूर्जटी (शिव) -की तुम पत्नी हो। ‘वां वीं वूं’ के रूप में तुम वाणीकी अधीश्वरी हो। ‘क्रां क्रीं क्रूं’ के रूप में कालिकादेवी, ‘शां शीं शूं’ के रूपमें मेरा कल्याण करो ॥५॥

हूं हुं हुंकार’ स्वरूपिणी, ‘जं जं जं’ जम्भनादिनी, ‘भ्रां भ्रीं भ्रं के रूप में हे कल्याणकारिणी भैरवी भवानी! तुम्हें बार-बार प्रणाम ॥६॥

 

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं इन सबको तोड़ो और दीप्त करो, करो स्वाहा ॥७॥

‘पां पीं पूं’ के रूप में तुम पार्वती पूर्णा हो। ‘खां खीं खूं’ के रूप में तुम खेचरी (आकाशचारिणी) अथवा खेचरी मुद्रा हो। ‘सां सीं सूं’ स्वरूपिणी सप्तशती देवी के मन्त्रको मेरे लिये सिद्ध करो ॥ ८॥

यह कुंजिकास्तोत्र मन्त्रको जगाने के लिये है। इसे भक्तिहीन पुरुषको नहीं देना चाहिये। शिव जी बोले, हे पार्वती! इसे गुप्त रखो। हे देवी! जो बिना कुंजिका के सप्तशती का पाठ करता है उसे उसी प्रकार सिद्धि नहीं मिलती जिस प्रकार वन में रोना निरर्थक होता है।

 

प्रतिदिन प्रातः काल उपर्युक्त स्त्रोत्र का पाठ करने से सब प्रकार के विघ्न-बाधा नष्ट हो जाते है। इस कुंजिका स्त्रोता तथा देवी सूक्त के सहित सप्तसती के पाठ से परम सिद्धि प्राप्त होती है।

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